जो किसी खुदा को नहीं मानते
एक नास्तिक थे भगत सिंह, जिनका यह कहना है
इन्किलाबी को ज़ुल्म-ओ-सितम से लड़ते ही रहना है
तहे-ज़िंदगी लड़े वे नाइंसाफी के खिलाफ
पा गए जवानी में ही शहीद-ए-आज़म का खिताब
हम भी जो किसी खुदा को नहीं मानते
कोई पीर-ओ-पैगम्बर नहीं जानते
न करते है बुत-फरोशी, न यकीं अवतार में
असंदिग्ध निष्ठा है जिनकी इंसानी सरोकार में
उठाते ही हैं हाथ वे हर ज़ुल्म के खिलाफ
बुलंद इरादों और ऊंची आवाज़ के साथ
क्योंकि वे नहीं मानते किसी खुदा का इन्साफ
धरती पर ही माँगते हैं धरती के ज़ुल्म का हिसाब
-- ईमि[२१.१२.१२]
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