नारी
--ईश मिश्र --
दुनिया में शान्ति थी,था सामंजस्य और सदाचार
सुनकर नारी की ललकार,मच गया है हाहाकार
हो गया अनर्थ कर दिया नारी
ने आजादी का इज़हार
कर दिया उसने जूती/धरती;
देवी/भोग्या बनने से इनकार
कहती है अब उसे आजादी
चाहिये
मर्दवाद की बर्बादी चाहिए
धंन धरती भी आधी चाहिये
शिक्षा, शासन में उपाधि चाहिए
यह देखो कलयुग का हाल
औरत चलती अपनी चाल
अब नहीं बनेगी किसी का माल
क्या होगा इस देश का हाल
20.12.2012
20.12.2012
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