मदरसा-ए-ज़ब्त-ए-गम
ईश मिश्र
चलाती हूँ मदरसा-ए-ज़ब्त-ए-गम
ख्वाहिशमंदों के लिए खुला है हरदम
असीमित नहीं है लेकिन शुरुआती कक्षा
पास करनी होगी एक जटिल प्रवेश-परीक्षा
ईश मिश्र
चलाती हूँ मदरसा-ए-ज़ब्त-ए-गम
ख्वाहिशमंदों के लिए खुला है हरदम
असीमित नहीं है लेकिन शुरुआती कक्षा
पास करनी होगी एक जटिल प्रवेश-परीक्षा
(क्या तुकबंदी है!)
२६.०९.२०१२
निराला है मकतबे इश्क का दस्तूर
जिसने याद किया उसका खुदा मालिक
समझा मगर जिसने मर्म-ए-इश्क
बावजूद विघ्न-बाधाओं के पास होगा जरूर
27.09.2012/
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