पराधीनता का अधिकार
ईश मिश्र 
कुछ लोग मुक्ति
महसूस करते हैं जेल की सलाखों में भी
वहां भी अर्चना के लिए खोज लेते हैं
 शक्ति का कोई बट-वृक्ष  
बैठ छाया में जिसकी पालते हैं भ्रम होने का
 उसकी विशालता का अन्श
अनजान इस हकीकत से 
कि पराधीनता से बनता नहीं 
अधिकारों का कोई भी तत्व  
 

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