भूल गये हों लोग जब हर्फ-ए-सदाकत
लिखता रहेगा मेरा कलम हर्फ-ए-बगावत
चारणों का काम है लिखना बाइजाजत
करते है जो हुक्मरानों की बाअदब इबादत
लिखता है मेरा कलम हमेशा बेइजाजत
नहीं है फासीवाद में इसे तोड़ने की ताकत
जब भी करोगे मेरे कलम पर जुल्मी प्रहार
और पैनी हो जाएगी इसकी विप्लवी धार
करता है मेरा कलम बेपर्द फरेब सारे खुदा-नाखुदाओं का
कत्ल का जश्न मनाते अमानवीय कमीनगी के आकाओं का
और देता है चुनौती धनपशुओं के चाकर शगूफेबाजों को
ललकारता है देशभक्ति का चादर लपेटे अमरीकी दलालों को
करता है नवजान-छात्र; किसानों का आह्वान
तोड़ पूंजी की गुलामी लाने को एक नया बिहान
(ईमि: 01.08.2017)
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