सर्वोच्च न्यायालय के फैसले गलत भी होते हैं। सर्वोच्च न्यायालय के एक बेंच के फैसले दूसरी बेंच पलट भी देती है। एक न्यायालय ने अमित शाह को तड़ी पार किया था दूसरे ने पेशी पर निजी हाजिरी की छूट से इंकार कर दिया था। उस जज का तबादला हो गया नये ने क्लीनचिट देदी और रिटायर को पट्टाधारी होने के ईनाम के तौर पर राज्यपाल बन गया। इनमें से पहले दो जज गलत थे कि तीसरा? अदालत की क्लीनचिट के बावजूद भक्तों समेत (जो अपनी दोगली प्रवृत्ति के चलते मन की बात जुबान पर लनहीं लाते) सब जानते हैं राजनैतिक ध्रुवीकरण के लिए 2002 के बाद के सारे दंगे और गोरक्षी अपराध मोदी-शाह के इशारे पर हो रहे हैं। कुछ दिमाग खुल रहा हो तो ठीक, नहीं तो विदा लीजिए, पंजीरी खाकर भजन गाइए।
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