सारी दुनिया जानती है कि गोधरा प्रायोजित कर सियासी ध्रुवीकरण के लिए मोदी के दिशा-निर्देश में गुरात में अभूतपूर्व नरसंहार हुए जो 3 महीने चलते रहे जब कि कोई भी सरकार चाहे तो आधे घंटे में दंगे रोक सकती है, क्लीन चिट के बावजूद सब जानते हैं कि अमित शाह ने फर्जी मठभेड़ें करवाई, मोदी सरकार का मंत्री संजदीव बालियान मुजफ्फरपुर का नायक था और योगी सरकार का मंत्री उसका सहायक, क्या हुआ इन बेनकाबियों का? यह हत्या का उत्सव मनाने वाला मुर्दा परस्त समाज है, जब तक इस देश में धर्माधता मौजूद रहेगी, यह मुल्क लुटेरों के शासन को अभशप्त है। यहां पढ़े-लिखे जाहिलों का प्रतिशत अपढ़ों से अधिक है जो सर्वोच्च शिक्षा के बावजूद, तर्कशील इंसान बनने में अक्षम, न सिर्फ अपनी जीवनवैज्ञानिक दुर्घटना की अस्मिता से ऊपर उठ नहीं पाते हैं, (जिसे मैं रूपक मे कहता हूं, बाभन से इंसान नहीं बन पाते), बल्कि गर्व करते हैं, पूर्वज चाहे अंग्रेजों के दलाल ही क्यों न रहे हों! जब तक मुल्क में अवैज्ञानिक, और अधोगामी सामाजिक चेतना का माहौल रहेगा, यह मुल्क मानसिक-आर्थिक गुलामी को अभिशप्त है।
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