मित्रों यह वक्त स्टालिन - ट्रॉट्स्की डिबेट का नहीं है। सारा संवैधानिक और फासिस्ट बुर्जुआ मशीनरी स्टलिन को खलनायक बता सारे वाम को बदनाम करने पर तुला है, ऐसे में स्टलिन-ट्रॉट्सकी विवाद को हवा देना वर्तमान की भयंकर समस्याओं से विषयांतर होगा और भविष्य के विरुद्ध प्रतिक्रांतिकारी अभियान। जेयनयू का एक चुनाव स्टालिन-ट्रॉट्स्की मुद्दे पर हुआ था, ट्रॉट्सकियाइट्स के समर्थन से उस बार एक फ्रीथिंकर जीता था, उसे बताने में देर लग जाएगी, कल रात भी नहीं सोया था। जैरस बानाजी उनके प्रमख स्पीकर थे जवाब में थे डीपी त्रिपाठी। उस समय के एक समाजवादी विजयप्रताप ने मजाक में पूछा था कि सुना है जेयनयू में कोई पहलवान किताबों का ठेले के साथ ताल ठोंकर सबको चवनौती दे रहा है। उस चुनाव और उससे निकले चुटकुलों की चर्चा किसी अलग पोस्ट में करूंगा। चलो जब बात लंबी हो ही गयी तो एक चुटकुला सुना ही देता हूं। यसयफआई के राजनैतिक शिक्षा पर निशाना साधकर। 'कैंटीन में 4 अभिजात सी दिखती यसयफ आई की कॉमरेड्स आपस में बात कर रहीं थी। एक ने कहा , हेएए व्बाई दे आर अटैकिंग स्टालिन सोओओओ मच? दूसरी - मस्ट बी हैविंग सम परनल गसूज. तीसरी -- बट व्हू इज़ दिस गॉय़े? चौथी -- नो आइडिया, माइट हैव बीन सम पॉर्मर जेयनयूयसयू प्रेसिडेंट। शुभरात्रि।
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