काफी कभी कुछ भी नहीं होता
कुछ् पाकर कुछ् और पाने का मन होता
लेकिन इस कुछ की होती अलग अलग परिभाषा
अलग अलग लोगों की अलग अलग अभिलाषा
कुछ् चाहते हैं अगली मंजिल अमीरी के वहम-ओ-ग़ुमाँ की
कुछ् की खाहिस बदलाव के अगले फिर अगले पडाव की
(ईमिः 13.11.2014)
कुछ् पाकर कुछ् और पाने का मन होता
लेकिन इस कुछ की होती अलग अलग परिभाषा
अलग अलग लोगों की अलग अलग अभिलाषा
कुछ् चाहते हैं अगली मंजिल अमीरी के वहम-ओ-ग़ुमाँ की
कुछ् की खाहिस बदलाव के अगले फिर अगले पडाव की
(ईमिः 13.11.2014)
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