काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अांदोलनकारी छात्रों के नामः
उठी है बगावत की एक चिंंगारी गंगा के कोलाहली किनारे
गूंज रहे अाकाश में काशी विश्वविद्यालय के छात्रों के नारे
टूट पड़ी है पुलिस इन पर लाठी-गोली के साथ
घुस-घुस कर छात्रावासों में मचा रहे उत्पात
सुनता नहीं ज़ालिम इतिहास की हिदायतें
दुहराता जा रहा है जोर-ज़ुल्म की घिसी-पिटी अायतें
जानता नही है वो जवानी का जोर
झुकता है जमाना उधर चाहे वो जिस ओर
कहा है एक शायर ने बहुत वाज़िब बात
बढ़ता है ज़ुल्म तो हो जाता बरबाद
नहीं होता खुद-ब-खुद कोई इंक़िलाबी काम
जवां उमंगे ही देतीं उन्हें अंज़ाम
बनेगी ही यह छोटी सी चिंगारी अाग एक दिन दावानल
बुझा जिसे न पायेंगे तोप-टैंकों के दमकल
बनारस से उटी चिंगारी पहुंचेगी दिल्ली जरूर
तोड देगी तख्त-ओ-ताज़ का सारा गुरूर
(ईमिः21.11.2014)
अब सारी चिंगारियाँ बिक रही हैं
ReplyDeleteखरीद वही रहे हैं जो बेच भी रहे हैं ।
सच कह रहे हैं सुशील भाई!
Deleteअाज ही लौटा हूं बनारस से
जो भडकीं थीं वे बिकी हुयी लंपट चिंगारियां थीं
जो निकलीं