Wednesday, October 31, 2018

मोदी विमर्श 101 (रिजर्व बैंक धारा 7)

RamaNand Mishra यह (धारा 7) रिजर्व बैंक को पंगु बना देगा। भक्तिभाव छोड़कर जरा दिमाग का भी इस्तेमाल करो। इस धारा को लागू करने का मकसद, अर्थव्यवस्था को तबाह करने वाले, जगजाहिर नोटबंदी के भ्रष्टाचार को आधिकारिक रूप जाहिर होने से रोकना है। इन संस्थानों की स्वायत्तता के प्रवधानों का मकसद जनतंत्र को निरंकुशता में तब्दील होने से रोकना है। रिजर्व बैंक पर सरकारी नियंत्रण सेा धनपशुओं के जरखरीद गुलाम मोदी-शाह की अपराधिक जोड़ी को देश को और तबाह करने को और मौका मिल जाएगा। अडानी की सिर्फ एक कंपनी पर सिर्फ स्टेट बैंक का 20,000 करोड़ बकाया है इस धारा से सरकार आसानी से यह राशि बट्टाखाता में डाल सकती है। पहले ही बेरोजगारी और भूख के मामले में सूचकांक में काफी ऊपर है। इंसानों को बौना बनाकर कोई देश महान नहीं हो सकता। भक्तिभाव के असाध्य रोग से ग्रस्त दिमाग बंद कर, पंजीरी खाकर, अपराधियों का भजन गाने वालों का देश कभी महान नहीं बन सकता। सही शिक्षा से बन सकता है। धनपशुओं की सेवा जनतांत्रिक शासनशिल्प नहीं है बल्कि जनसरोकार है। जरूरत है सही शिक्षा, रोजगार और रोटी है, जिन्हें अयोध्या में करोंड़ों के खर्च से लाखों दिये जलाकर सरयू के किनारे गंदगी फैलाने से नहीं पूरा किया जा सकता। उ.प्र. में सिविल सर्विस में धनाभाव के हवाले से अभी 2013-14 की परीक्षा की सभी नियुक्तियां नहीं हुईं। गुजरात में 2002 के बाद विश्व विद्यालय-कालेजों में नियमित नियुक्तियों की बजाय संविदा (ठेकेदारी) से काम चल रहा है।

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