Saturday, October 27, 2018

मार्क्सवाद 159 (दुःख)

हम दुख के वृक्ष की डालें काटने में नहीं, उसकी जड़ खोदने में ही लगे हैं। गुरुत्वाकर्षण की खोज (अन्वेषण नहीं) करने वाले या पृथ्वी के गोल होने की खोज करने वालों ने धर्मशास्त्रीय जहालत की डालें नहीं काटा, जान दांव पर लगाकर उसे जड़ से उखाड़ने की कोशिस की। धर्मशास्त्रीय जाहिलों ने गैलेलियो की गुलेटिन से हत्या की और ब्रूनो को चौराहे पर जिंदा जलाकर। इसीलिए दुख के वृक्ष को जड़ से उखाड़ने के लिए धर्मांधता की सियासत से पैदा मानवता के खतरे को भी जड़ से उखाड़ने की जरूरत है। धन्यवाद।

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