Ahmed Raza Khan ईश्वर भय और अज्ञान की उत्पत्ति है। हर समुदाय अपनी ऐतिहासिक जरूरतों के अनुसार अपनी भाषा, मुहावरे, रीत-रिवाज और देवी-देवताओं की रचना करता है, इसी लिए उसका चरित्र और स्वरूप देश काल के अनुसार बदलता रहता है। चतुर-चालाक लोग उसे मजहब का चोला पहनाकर, अपना उल्लू सीधा करते रहे और सीधे-सादे लोगों में धर्मोंमाद भर कर आपस में लड़ाते रहे हैं। क्या हिंदू, मुसलमान, ईशाई... आदिवासी के भगवान एक ही है? हिंदुओं के इतने भगवान और भगवतियां हैं, सिख-बौद्धों के एक भी नहीं? मुसलमान-ईशाइयों के एक-एक जिनके बंदे सैकड़ों साल आपस में खून-खराबा करते रहे। इसमें कौन से उसली हैं कौन नकली? सब असली हैं तो इतना विरोधाभास क्यों?
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment