Saturday, October 20, 2018

मार्क्सवाद 155 (आत्मसंघर्ष)

मार्क्सवादी प्रशिक्षण से निकलकर शाखा में जाना अधोगामी तथा शाखा से निकलकर मार्क्सवादी बनना एक स्वाभाविक, अग्रगामी गति है। वैसे अनुशासन के नाम पर गोमाता का इतना पवित्र गोबर भर दिया जाता है कि उसे साफ कर वैज्ञानिक सोच विकसित करना अपने आप में एक मुश्किल काम है, लेकिन आसान काम तो सब कर लेते हैं। कोई मुंह में लाल चम्मच के साथ नहीं पैदा होता, ज्यादातर केशरिया, हरे-नीले के साथ पैदा होते हैं। उन पर सुर्ख रंग व्यक्ति विवेक के इस्तेमाल, आत्मावलोकन, बौद्धिक ईमानदारी और वैचारिक निष्ठा तथा कथनी-करनी के अंतर्विरोध के विरुद्ध व स्व के न्यायबोध पर स्व के स्वार्थबोथबोध को हावी न होने देने के निरंतर आत्मसंघर्षों से चढ़ाता है । वैसे सीपीआई-सीपीयम तथा अन्य संसदीय पार्टियों में कोई गुणात्मक फर्क नहीं रह गया है।

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