Saturday, October 29, 2016

फुटनोट 82

मैंने तो 13 साल की उम्र में जनेऊ तोड़ दिया था, अब लगता है, तभी से, शायद अनजाने में, विरासत में मिले ब्राह्मणवादी संस्कारों से मुक्ति का मुहिम शुरू हुआ जो 17 साल की उम्र तक नास्तिकता की मंज़िल तक पहुंच गया. ब्राह्मणवाद (जातिवाद) के विनाश के बिना क्रांति असंभव है और क्रांति के बिना जातिवाद का विनाश. इसलिए ब्राह्मणवाद के विरुद्ध अस्मिता आधारित दलित चेतना को अग्रगामी वर्ग चेतना में बलना पड़ेगा. जयभीम-लालसलाम नारे के प्रतीक को सैद्धांतिक और अमली जामे की जरूरत है.

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