मेरी कल की पोस्ट, "बेतरतीब 12: 1983(भाग 1) पर एक कमेंट
Patel Ramavtar Kundal मिश्रा जी आपकी post.से संबंधित नही पर जिक्र करने का मन है।dr.p.n. sri vaastav.जी के एक ही लड़का था अनिल श्री वास्तव बहुत जहीन मेहनती क्रांतिकारी medical college.का student.वो खुद s.f.i.कि state committee.में रहा। राजस्थान university.में s.f.i.ने कुछ प्रोफेसरों के खिलाफ आन्दोलन किया था। जिसमे उसके पिता का नाम भी था। वो दिन में आन्दोलन के साथ रहता रात को पिता कि डांट खाता। medical collage.में बड़ा आन्दोलन किया पढाई छूट गई या छोड़ दी। फिर नक्सल्वाद से प्रभावित होकर c.p.i.m.l.में चला गया। आपतकाल में लम्बा जेल में रहा। मै s.f.i.के साथ था तब तक उसने s.f.i.छोड़ दी थी।संघर्ष करते हुए तनाव के कारण कुछ गलतिया भी उससे हुई।brain हेमरेज से मौत हो गई। पिता से सदा अलग ही रहा। शायद p.n.श्रीवास्तव जी वामपंथियो से ज्यादा ही चिढ़ते हो।
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तत्कालीन कुलपति पीयन श्रीवास्तव के पुत्र अनिल श्रीवास्तव से मेरा परिचय उस समय से है जब वह सीपीयम से यमयल की तरफ बढ़ रहे थे लेकिन 1983-84 तक वह राजनैतिक रूप से थक-हार से गए थे. पिताजी के ही साथ रहते थे, कैंपस में आते थे तो मुझसे जरूर मिलते थे. फिर धीरे-धीरे संपर्क कमता गया. कुलपति, पीयन श्रीवास्तव का बेटा मेरा मित्र था. प्रशासनिक रेक्टर यमयस अगवानी का बेटा मेरा शिष्य-मित्र था. पीयन श्रीवास्तव के खासम-खास और जो आगे चलकर खुद कुलपति बने, आशीष दत्त की बेटी मेरी शिष्या-मित्र थी. लगता है बेटी की ही सिफारिश पर मुझे माइल्ड अपॉलॉजी की सलाह देने आए थे. ज्यादातर लोगों को 2 साल के लिए निकाला गया था उर्मिलेश, मुझे, नलिनीरंजन मोहंती (छात्रसंघ अध्यक्ष) और शायद किसी एक और को 3 साल के लिए. नोटिस के जवाब में मैंने कुलपति को विश्वविद्यालय की स्वस्थ, जनतांत्रिक शैक्षणिक संस्कृति को नष्ट करने के लिए कारण बताओ नोटिस दे दिया था. 3 सालाओं में नलिनीरंजन मोहंथी की 2-3 महीने में वापसी हो गई.
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