Thursday, January 10, 2013

लल्ला पुराण ५७

some comments on a fb post regarding study of science and scientific temper


Vikas Singh फादर कामुल बुल्के का शब्दकोष देखें. चिकित्सा की जरूरत तो आप जैसे प्रलाप करने वालों को है. संघियों को पढ़ने-लिखने  की आदत तो होती नहीं, नाजी हाफपैंट पहनते पहनते बातचीत की मूल-भूत त तमीज़ भी नहीं होती. यही है संघी भारतीय संस्कार? कई लोगों के बारे में शक होता है कि वे कभी पढाई भी किये हैं कि प्रोफेसरों की सब्जी लाकर डिग्री ले लिए हैं. मैंने विमर्श के लिए कुछ महत्त्व पूर्ण मुद्दे उठाये.  मेरे कुछ कमेंट्स पर अपने कहा ४०% सहमत हैं आपने बताया नहीं कि किन बिंदुओं पर सहमत /असहमत हैं? इसीलिये कहता हूँ कि ज्यादातर विज्ञान वालों  की सामाजिक समझ दकियानूसी होतती है, पढते सोचते नहीं, बस लफ्फाजी करते हैं.

अपने संघी संस्कार तो आप दिखा रहे हैं. दम है तो मेरे सवालों का जवाब दीजियेद. गोलवलकर हिटलर के अ�नुसरन का हिमायाक्ती था कि नहीं? उसकी दकियानूसी किताब we OR our nation defined (1939) जिसमें उसने हित्लास्र के अनुसरण के साथ एक मौलिक भूवैज्ञानिक तथ्य उजागर कलिया कि प्राचीन काल में उत्तरी ध्रुव बिहार और उड़ीसा में था. संघियों की जहालत की हालत यह है कि वे अपने "विचार -पुरुषों' कजो भी नहीं पढते और आप; जैसे तहजीब और तमीज्क वाले रणबांकुरे तैयार करते हैं. आ[प तो बहुत बेईमान और क्क्स्हरित्र्हीं हैं कि बिना सोचे-सम्ज्खे किसी की बा`त रोकने के लिए सहमति जाहिरत कर देते हैं. संघी  लफ्फाजों की नैतिकता ऐसी ही होती है.दिमाग मिला हसी उसे ताख पर मत रखिये, थोड़ा इस्तेमाल भी कीजिये.

Vikas Singh मूर्ख मूर्ख ही रहता है किसी से बहस करे या न करे. एक सेवा-निवृत्त कमीना प्रोफ़ेसर बोला, "a retired professor is like a dog." मैंने कहा, "A dog is a dog whetherretired or in service. So duffers remain duffers whatever they do. This whole controversy arose because of your limitations of English vocabulary, instead of seeing the meaning of a complementary word, you in your own right of ignorant value judgement thought was an abuse and came down to your level of lumpen language with the threats  of a GALI CHHAP hooligan. I know most of the your likes are duffers but you can change it with effort and will.   Good luck. I have no energy to waste with out right duffers like you. I can spend time with people ready to learn and unlearn what ever they have acquired independent of their will. bye, May God help you, if there is one. I doubt.

शुक्रिया. मैंने आप को नहीं मैंने मूर्खों के बारे में एक सामान्य वक्तव्य दिया था, आपकी दाढी में तिनका निकल आया तो उसके जिम्मेदारी आप की हे है. मने  तो सिर्फ यह कहा कि बहस करने न करने से मूर्खता की गुणवत्ता पर कोइ फर्क नहीं पड़ता. हाँ बहस करने वाले मूर्ख की मूर्खता जग-जाहिर हो जाती है. "वह जंग ही क्या वह अमन ही क्या, दुश्मन जिसमें ताराज न हो?"

@अंकिता वशिष्ठ: मैं भी विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूँ  और सौभाग्यशाली रहा हूँ कि टी पति और बस्न्वारी लाल शर्मा जैसे विद्वानों का विद्यार्थी रहा हूँ. unfortunately Science education does not inculcate scientific temperament but equips you with only information and skills. This is tragedy that science students should remain superstitious.

Vikas Singh/@ankita Vashishth/Prof Amitabh Pandey: विजयानगरम हाल के इर्द-गिर्द मैंने भी लगभग ४ साल (१७-२१) गुजारे हैं और जीवन का यह संक्रमण-कालीन खंड सभी के जीवन में बहुत महत्त्व पूर्ण होता है. इलाहाबाद के बाद मैं जे.एन.यु. में रहा लेकिन जीवन के उन सालों की यादें इतनी nostalgic (इस शब्द का मतलब शब्द-कोष से देखने की बजाय, मित्र विकास ने कुछ और समझ लिया और मुझे दिमाग का इलाज कराने की सलाह देने  होती हैं कि, वास्तविक दुनिया में मुलाक़ात न होने के बावजूद फेस बुक की आभासी दुनिया में मेरी लम्बी  मित्र-सूची में इलाहाबाद के मित्रों का प्रतिनिध्वित काफी है. निश्चित रूप से विज्ञान का मानव प्रगति में अनूठा और सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान है. मैं हास्टल में वार्डन था और पररीक्षा के दिन हनुमान मंदिर आशीर्वाद लेने जाने वालों में विज्ञान के विद्यार्थियों का बहुमत होता था. यह इवि के विज्ञान अध्यापन की बात नहीं है, शिक्षा को पूंजीवाद में नौकरी से जुड़ जाने के कारण शिक्षण संस्थाएं ज्ञान के केंद्र की बजाय उपभोक्ता-उत्पादन संस्थान बन गयी है. देख नहीं रही हैं देश में शिक्षा अति लाभदायक धंधा बन गयी है. बाकी बाद में.अभी वास्तविक दुनिया के कुछ काम हैं.

हा हा मैं तो आवारा किस्म का अदना सा इंसान हूँ और अक्सर अपने को अल्पमत में पाता हूँ, जिसकी परवाह नहीं करता. मैं मित्रों-विद्यार्थियों से कहता हूँ कि"when ever you have to choose between being correct and popularity, choose to be correct unpopularity is unstable, you will get vindicated at the end of it. If you have to choose between being correct and facing difficulty, choose to be correct, difficulties would ease out."


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