उठो सीता,
उठो सीता, शस्त्र उठाओ
मनुस्मृति को विध्वंस करो
उठो सीता, शस्त्र उठाओ प्रज्ञा का
बुलंद करो नारे नारीवादी संज्ञा का
रचो प्यार की एक विप्लवी परिभाषा
बुनियाद जिसकी पारदर्शी पारस्परिकता
खंड-खंड कर दो पाखंड स्वयंवर का
वेटलिफ्टिंग से चुनाव के आडंबर का
तोड़ दो तुलसी की पति-परायण सीमाएं
काट डालो लक्ष्मणोॆ की सीमांकन रेखाएं
जला दो रावणों की रमणीक अशोक वाटिकाएं
विसर्जित करदो समुद्र में रामों की अग्नि-परीक्षाएं
मांगे कोई राम गर धोबी के सवाल का जवाब
तलब करो चौदह साल जंगल में मंगल का हिसाब
उठो सीता शस्त्र उठाओ दावेदारी और प्रज्ञा का
भेद खोलो रामों की मर्दवादी अहंकारी प्रतिज्ञा का
उठो सीता शस्त्र उठाओ दो लक्ष्मणों पर तान
जुर्रत करें जो काटने की सूर्पनखा के नाक-कान
उठो सीता शस्त्र उठाओ
काटो सब लक्ष्मण रेखाएं
[ईमि/०८.०१.२०१३]
Got goosebumps while I was reading it. Admirable and absolutely incredible. Thank you for sharing the link.
ReplyDeletethanks for liking, my pleasure to share.
ReplyDeleteaur kiu na mil jao hamare sangram ka sath! uo vi to tumhare e hai!
ReplyDeleteहम तो साथ ही हैं
ReplyDeleteThe envisioned solidarity between Sita and Surpnakha is the solidarity of co-victims as both are victim of the Varnashgram patriarchy. Dominant classes and values always perpetuate all kinds of division and disunity among the dominated om flimsy, artificial grounds. New Sitas and Surpanakhas are able to comprehend the patriarchal designs and foil it.
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