खुशी की तलाश
ईश मिश्र
खुशियों की गमों में तबदीली
महज वहम है मन का
खोजने से नहीं मिलतीं खुशियाँ
जैसे खोजने से नहीं मिलता प्यार
ज़िंदगी जीने मे उसूलों की
खुद-ब-खुद मिल जाती है खुशी अपार
जैसे बरास्ते मंजिल
हो जाती हैं किसी अज़ीज़ से आँखें चार
हकीकी खुशी है सर्जक ऊर्जा की अभिव्यक्ति
खाना-पीना मौज करना है महज आसक्ति
मिला दो गम-ए-जहाँ से गर गम-ए-दिल
नहीं रहेगा दुःख कोई भी सताने के काबिल
आओ जलाते हैं गम-ओ-गुमान की होली
भर लें खुशियों से आवाम की झोली
[ईमि/२४.०१.२०१३]
No comments:
Post a Comment