राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर सरसंघचालाक, मोहन भागवत के देश को हिन्दुस्तान, भारत और इंडिया में बांटने और भारत की तुलना में इंडिया में ज्यादा बलात्कार होने के बयान से कई लोगों को आश्चर्य हुआ. मुझे नहीं. दर्-असल जो स्वयंसेवक कुतर्क की पराकाष्ठा के मानक स्थापित करे वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पादाधिकारी हो जाता है. संघ संरचना के पिरामिड में पद की ऊंचाई मुखर-कुतर्क की क्षमता के अनुपात में होती है. संस्थापक हेडगेवार को जिसमें में यह गुण उन्नत रूप में दिखे और जिसे वह अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करके मरे, और जो लगभग ५ दशकों तक सर संघचालक रहा, उसके दुस्साहस और कुतर्क क्षमता की दाद देनी पड़ेगी.१९३९ में एक किताब लिखा इन्होने "We or Our Nationhood Defined",. इस पुस्तक में उन्होंने "कुजात सेमेटिक नस्लों का सफाया करके आर्य नस्ल की सुचिता की रक्षा" करने के लिये हिटलर की प्रशंसा और उसके अनुसरण के लिये अनुशंसा के दुस्साहस के साथ एक मौलिक भू-वैज्ञानिक कुतर्क का प्रतिपादन किया. आर्यों की मूलनिवासिता के संघी दुराग्रह और संघ के आदर्श, तिलक की मान्यता के बेच सामंजस्य बैठाने के लिये गुरू गोलवलकर जी ने लिखा कि बाकी चीजों की तरह उत्तरी ध्रुव भी चलायमान है. अति प्राचीन काल में वह वहाँ था जिसे आज हम बिहार और उड़ीसा कहते हैं. गौर तलब है कि तिलक की मान्यता है कि आर्य उत्तरी ध्रुव से आये थे.यह और इनका एक और कुतर्क ग्रन्थ "विचार पुंज"(बंच ऑफ थाट) इनके "बौद्धिकों" और साक्षात्कारों के संग्फ्रह लगते हैं, क्योंकि संघियों में ओअधने लिखने के दुष्कर्म की परम्परा नहीं होती. भागवत जी देश को हिन्दुस्तान-भारत-इंडिया के खानों में बांटकर संघ की गौरवशाली परम्परा को आगे बढा रहे हैं.
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