Sunday, July 22, 2012

लल्ला पुराण १४


मित्रों, मैं शहीद चंद्र शेखर के जीवन पर वाद-विवाद नहीं करना चाहता. मेरी  उनके छात्र जीवन की संस्था की  जानकारी १९७५ में नैनी जेल में एह.आर.ए. और एह.एस.आर.ए. दोनों में सक्रिय रहे सिव वर्मा से बातचीत पर आधारित है जिन्होंने बताया था कि आज़ाद को गिरफ्तारी के समय बनारस में रहते २-३ साल हो गए थे और काशी विद्यापीठ की स्थापना १९२१ में हुई थी, संभव है कि उस समय आज़ाद काशी विद्यापीठ के छत्र रहे हों, मेरे अज्ञान को दुरुस्त करने के लिए धन्यवाद. असहयोग आंदोलन के वापस लेने बाद क्रांतिकारियों की एक अखिल भारतीय पार्टी के गठन की बुनियाद सचीन्द्र्नाथ सान्याल ने १९२३ के अंत में  एह.आर.ए. के गठन से डाली, आज़ाद पार्टी के सबसे कम उम्र के सदस्य थे."उन्होंने पार्टी का संविधान भी तैयार किया जो पीले कागज़ पर छपा था इसी लिए वह  पीला पर्चा के नाम से मशहूर है. एक और महत्वपूर्ण दस्तावेज उन्होंने तैयार किया था हिन्दुस्तान प्रजातंत्र संघ(HRA)का g घोषणा पत्र जिसका शीर्षक था The revolutionary. यह दस्तावेज १ जनवरी १९२५ की रात में पूरे उत्तर भारत में बांटा गया.१९१७ की अक्टूबर क्रान्ति से प्रभावित होकर भारतीय क्रांतिकारियों के उद्देश्य का ऐलान नीचे लिखे शब्दों में किया गया था. "राजनीति के क्षेत्र में  क्रांतिकारी पार्टी का तात्कालिक उद्देश्य संगठित सहस्त्र क्रान्ति द्वारा एक Federal Republic of united States of India स्ताहाप्त करना है ........... इस गणतंत्र का मूलभूत सिद्धांत ............शोषण पर आधारित ऐसी समस्त व्यवस्थाओं की समाप्ति पर आधारित होगा जो मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण को संभव बनाती है..........यह क्रान्तिकारी पार्टी इन अर्थों में राष्ट्रीय न् होकर अन्तर्राष्ट्रीय है कि इसका अंतिम उद्देश्य विश्व में मेल और सामंजस्य स्थापित करना है..."........... घोषणा पत्र का दृष्टिकोण निश्चित रूप से अतीत का दामन छोड़कर समाजवाद का और  सोविएत को "विजयी समाजवाद का पहला देश" कह कर स्वागत करता है..........." [जगमोहन सिंह और चमनलाल द्वारा संपादित राजकमल प्रकाशन द्वारा १९८७ में प्रकाशित, 'भगत सिंह और उनके साथियों के दस्तावेज'] लाल झंडा  और शहीदों के लिए लाल सलाम की शुरुआत उनीसवी शताब्दी में शिकागो में ८ घंटे काम के अधिकार के लिए मजदूरों के आंदोलन में शहीदों की खून से रंगी कमीज को झंडा बनाकर जुलूस निकालने से हुई, तब तक किसी देश में कम्युनिस्ट पार्टी नहीं बनी थी. मलेरिया की कमजोरी  वजह से अधिक टाइप करना संभव नहीं है कृपया इस पुस्तक में क्रांतिकारियों की बातें फर्स्ट हैंड पढ़ लें. कई लोगों का समतावादी विचारों के प्रति दुराग्रह इतना तीव्र है कि लाल शब्द से बौखला जाते हैं.शःहेदों को लाल सलाम से सम्मान और इन्किलाब जिंदाबाद नारे की शुरुआत भगत सिंह ने किया था. आज़ाद को लाल सलाम कहना उनका क्रान्तिकारी अभिवादन और सम्मान करना है. कृपया दुराग्रही संकीर्णता से उबरने का प्रयास करें. चंद्र शेखर आज़ाद जिंदाबाद
शहीद चंद्रशेखर आज़ाद को लाल सलाम.

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