क्रान्ति कारियों की श्रद्धाजंलि उनके दैवीकरण से देना उनका अपमान है उन्हें सही श्रद्धांजलिउनके विचारों को आत्मसात करके उनके पदचिन्हों पर चलते हुए उनके सपनों को साकार करने में योगदान देना है. कृपया उनके विचारों को पढ़ें. चंद्रशेखर आज़ाद भगत सिंह, भगवतीचरण वोहरा, शिव वर्मा आदि के लेखन को जब तक समझ कर संस्तितुती नहीं करते थे तब तक कोई भी दस्तावेज सार्वजनिक नहीं होता था. मैंने पहले भी कहा है कि जनेऊ वाली उनकी तस्वीर छद्म वेश में कीर्तन मंडली के साथ लाहोर से निकलने के लिए थी. हिन्दुस्तान सोसलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी का घोषणापत्र और बाकी दस्तावेज ब्राह्मणवाद और हर तरह के पोंगापंथ के विरुद्ध हैं. इस मुल्क में बिना कुछ पढ़े निर्णायक राय देने की पुरानी पोंगापंर्थी परंपरा रही है. बुद्ध के विचार जो ब्राह्मणवादी कर्मकांड के विरुद्ध थे उनकी काट में असमर्थ ब्राह्मणों ने चतुर-चालाकी दिखाते हुए बुद्ध को किसी कालपनिक विष्णु का अवतार घोषत कर दिया. उसी तरह भगत सिंह और उनके साथियों के विचारों को पढ़े समझे बिना यहाँ तक कि फासीवादी सांप्रदायिक ताकतों ने भी उन्हें अपना नायक बना लिया, विचारों से न् लड़ सको तो उन्हें विकृत कर दो. ये क्रान्तिकार समाजवाद की स्थापना करना चाहते थे. भगत सिंह का सबसे महत्वपूर्ण लेख, "मैं नास्तिक क्यों हूँ" में धार्मिक बेहूदगियों की बखिया उधेड़ी गयी है लेकिन एक तरफ फासीवादी अकाली उन्हें अपना नायक बनने की कोशिस करते हैं दूसरी तरफ संघी. विचारों न् लड़ सको तो विचारक को मार दो. इश्वर को नकारने में भगत सिंह के तर्क वोल्ताय्रर से मिलते हैं. कृपया फांसी के पहले भगत सिंह की ग्रंथी को फटकार पढ़ लें. जो उन्हें अंतिम समय में गुरुग्रंथ साहब पर माथा नवाने की सलाह देने आया था. मणि नास्तिक क्यों हूँ गुजारिश है अपनी भक्ति भाव के चलते क्रांतिकारियों का अपमान न् करें. यदि आप जाति-धर्म से ऊपर उठे बिना क्रांतिकारियों को नमन करते हैं तो यह उनला अपमान है.क्रांतिकारी चन्द्र शेखर आज़ाद को लाल सलाम. इन्किलाब जिंदाबाद.
Monday, July 23, 2012
लल्ला पुराण 15
क्रान्ति कारियों की श्रद्धाजंलि उनके दैवीकरण से देना उनका अपमान है उन्हें सही श्रद्धांजलिउनके विचारों को आत्मसात करके उनके पदचिन्हों पर चलते हुए उनके सपनों को साकार करने में योगदान देना है. कृपया उनके विचारों को पढ़ें. चंद्रशेखर आज़ाद भगत सिंह, भगवतीचरण वोहरा, शिव वर्मा आदि के लेखन को जब तक समझ कर संस्तितुती नहीं करते थे तब तक कोई भी दस्तावेज सार्वजनिक नहीं होता था. मैंने पहले भी कहा है कि जनेऊ वाली उनकी तस्वीर छद्म वेश में कीर्तन मंडली के साथ लाहोर से निकलने के लिए थी. हिन्दुस्तान सोसलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी का घोषणापत्र और बाकी दस्तावेज ब्राह्मणवाद और हर तरह के पोंगापंथ के विरुद्ध हैं. इस मुल्क में बिना कुछ पढ़े निर्णायक राय देने की पुरानी पोंगापंर्थी परंपरा रही है. बुद्ध के विचार जो ब्राह्मणवादी कर्मकांड के विरुद्ध थे उनकी काट में असमर्थ ब्राह्मणों ने चतुर-चालाकी दिखाते हुए बुद्ध को किसी कालपनिक विष्णु का अवतार घोषत कर दिया. उसी तरह भगत सिंह और उनके साथियों के विचारों को पढ़े समझे बिना यहाँ तक कि फासीवादी सांप्रदायिक ताकतों ने भी उन्हें अपना नायक बना लिया, विचारों से न् लड़ सको तो उन्हें विकृत कर दो. ये क्रान्तिकार समाजवाद की स्थापना करना चाहते थे. भगत सिंह का सबसे महत्वपूर्ण लेख, "मैं नास्तिक क्यों हूँ" में धार्मिक बेहूदगियों की बखिया उधेड़ी गयी है लेकिन एक तरफ फासीवादी अकाली उन्हें अपना नायक बनने की कोशिस करते हैं दूसरी तरफ संघी. विचारों न् लड़ सको तो विचारक को मार दो. इश्वर को नकारने में भगत सिंह के तर्क वोल्ताय्रर से मिलते हैं. कृपया फांसी के पहले भगत सिंह की ग्रंथी को फटकार पढ़ लें. जो उन्हें अंतिम समय में गुरुग्रंथ साहब पर माथा नवाने की सलाह देने आया था. मणि नास्तिक क्यों हूँ गुजारिश है अपनी भक्ति भाव के चलते क्रांतिकारियों का अपमान न् करें. यदि आप जाति-धर्म से ऊपर उठे बिना क्रांतिकारियों को नमन करते हैं तो यह उनला अपमान है.क्रांतिकारी चन्द्र शेखर आज़ाद को लाल सलाम. इन्किलाब जिंदाबाद.
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