फ्रांस की घटना पर मुनव्वर राणा का विवादित बयान निंदनीय है।धर्मांध हत्यारों के कृत्य का उनका समर्थन देवी-देवताओं पर हुसैन की पेंटिंग पर हिंदुत्ववादी कट्टरपंथियों की उत्पात और उनकी धमकियों से देश छोड़ने पर आंसू बहाने वाले शायर की धर्मनिरपेक्षता का छद्म तथा उनके चरित्र का दोगलापन दर्शाता है। शायरी में मां की ममता का बखान करने वाले राणा को 3 बच्चों की उस मां की ममता नहीं दिखी जो मरते मरते अपने बच्चों के प्रति अपने प्यार का इजहार करती रही।सुनो मुनव्वर राणा! तुम पैगंबर पर कार्टून के विरोध के बहाने प्रकारांतर से फ्रांस में मासूमों की हत्याओं को जायज बताकर कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्याओं का जश्न मनाने वालों की कतार में खड़े हो गए जिनके विरोध में तुमने पुरस्कार वापसी का नाटक किया था।
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