Wednesday, November 4, 2020

बेतकतीब 93 (माटी का चौथा जन्मदिन)

 अपनी मां की गोद मै बैठी यह मेरी नतिनी आज 4 साल की हो गयी

आज के दिन दुवा करता हूं की कि जीवन में भरती रहे नई उड़ान
मानवता की सेवा में नापे नई ऊंचाइ सीमा न हो जिसकी आसमान
पढ़ते-लड़ते-बढ़ते हुए तय करे नई मंजिलें बने एक बेहतरीन इंसान
माटी को जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई

जब यह अपनी मां के पेट में थी तो मेरी छोटी बेटी ने कहा कि उसकी दीदी की बेबी के लिए उन्ही लोगों (दोनों बहनों) की एक सुंदर सा नाम सोचूं। मैंने कहा कि तुम लोगों का नाम तो बिना सोचे रख दिया था, इसका नाम माटी रख देते हैं। उसने कहा लड़का हुआ तो ढेला? उसका तब सोचेंगे। इस बात को जानने वाली मैं और मेरी एक प्रिय स्टूडेंट नतिनी होने की खबर पर खूब हंसे कि माटी ही हुई,दूसरा नाम सोचने की जरूरत नहीं पड़ी। मेरी छोटी बेटी जब पैदा हुई तो पत्रकारिता करता था। किसी पत्रिका के एक ही अंक में दो लेख छपे तो दो बाईलाइन अच्छी नहीं लगती लेकिन अपने लिखे का मोह भी नहीं छूटता तो दूसरे लेख के नीचे ईमि लिख देता था। इसका नाम रखना हुआ तो ईमि के ई का इ कर दिया और मि का मा, इमा हो गया।

माटी की तरफ से आप सब का बहुत आभार। उसके मां-बाप ने शिकागो में घर खरीदा है (लोन की किस्तों पर), वीडियो काल पर मैंने माटी से कहा अपना घर भेज दो, बोली यह तो बहुत बड़ा है, इसे उठाकर लेजानेके लिए इतने आदमी कहां मिलेंगे? वह अपना बड़ा वाला डॉल हाउस भेज देगी उसमें हम सब आ जाएंगे। उसका शुरुआती बचपन कैंपस के घर में बीता है लेकिन बच्चों को उस उम्र की यादें कम ही रहती हैं। मुझे 5 साल के पहले की कुछ बातें याद हैं और कुछ ऐसी घटनाएं जिनकी लोग बाद के दिनों में चर्चा करते थे। माटी ने बोलना-चलना कैंपस में ही शुरू किया। बहुत से स्टूडेंट्स उसके साथ खेलते तथा उसकी तस्वीरें खींचते रहते। भाग कर सीढ़ियां चढ़ती। एक बार लड़कों के हॉस्टल की सीढ़ियां चढ़ अंदर जाने लगी, मैंने कहा लड़कियों का अब हॉस्टल में जाना मना है, कहा 'तुम्हारे नानू वार्डन थे तब जा सकती थी'। गेट पर बैठे लड़के उसे अंदर ले गए। मैं वार्डन था तो मुझसे कहा गया कि अन्य हॉस्टलों में लड़कियों का प्रवेश मना है, मैं भी रोक दूं। मैंंने कहा कि मैं फिमेल गेस्ट्स का प्रवेश बंद करूंगा तो मेल गेस्ट्स का भी प्रवेश बंद कर दूंगा, जो खतरा लड़कियों से है वह लड़कों से भी हो सकता है। 18-22 साल के लड़के-लड़कियां इतने समझदार हैं कि विधायक-सांसद चुन सकते हैं आपस में मिलजुल नहीं सकते? मेरे एक स्टूडेंट (अभी बीएसएफ का कमांडेंट) का रूम तो उसके क्लास की लड़कियों का स्टडीरूम सा था। उसे कहता था,'तुम्हें तो इस लिए हॉस्टल से नहीं निकाल रहा कि ये सब कहां जाएंगी'। खैर माटी की तरफ से आभार व्यक्त करने में वार्डन के अनुभव में खो गया, कभी उन तीन खूबसूरत सालों पर लिखूंगा। बेटियों और माटी के कमरे की एक खिड़की के पार मेरी झोपड़ी (लाइब्रेरी और अध्ययन कक्ष) था। 5-6 महीने की थी तो बेटियों से डैडी सुन एक बार डैडी बुलाया फिर खिड़की का पर्दा हटाकर खिड़की पीटते हुए डड् -डड् करने लगी, थोड़ी बड़ी हुई तो नन् नन्। एक बार मैंने गुड नाइट का तो बोली नेइ और हाथ से घर के अंदर आने के रास्ते का नक्शा सा बनाती अंदर आने का इशारा किया। बोलने लगी तो नानू साफ बोलने लगी। उसकी मां और मौसी उसे भूत से डराकर सुलाती थीं। एक बार मेरे कमरे में पानी लेकर आई और बोली 'नानू दावी-मानी (दवाई-पानी) और खिड़की दिखाकर बोली भूत। मैंने कहा तुम लोग इसे भूत से डराती हो तो यह तुम्हारे बाप को। खैर आप सबका माटी की तरफ से फिर से आभार। सब लोग दुआ कीजिए कि वह बहुत ही अच्छी इंसान बने और मानवता की सेवा में नए प्रतिमान गढ़े।

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