किसी ने धमनियों में राजपूती खून की उद्घोषणा के साथ कहा कि उसका उन्हें घमंड नहीं है। खून की कोटियों में राजपूती या ब्राह्मणीय या केोई ऐसी कोटि तो शायद नहीं होती। वैसे मेरा शरीरविज्ञान या जीवविज्ञान का ज्ञान बहुत अच्छा नहीं है फिर भी खून की किसी ऐसी कोटि का नाम सुना नहीं। राजपूत का खून नीले रंग का तो होता नहीं होगा वह भी लाल ही होता होगा। वैसे राजपूती विशिष्ट खून की उद्घोषणा ही प्रछन्न राजपूती घमंड का द्योतक है। भगवान या प्रकृति तो सबको इंसान बनाती है समाज और धर्म उन्हें बाभन ठाकुर बना देता है, कई लोग बड़े होकर, मनुष्य की प्रजाति-विशिष्ट प्रवृत्ति, विवेक के इंस्तेमाल से वापस इंसान बन जाते हैं कई समाज द्वारा थोपी कृतिम अस्मिता में गर्व की अनुभूति के चलते इंसान नहीं बन पाते। मैं तो केवल परामर्श देता हूं और अपना अनुभव शेयर करता हूं कि ब्राह्मणीय श्रेष्ठतावाद से मुक्त समानुभूतिक इंसानी अनुभूति का आनंद और समता का सुख अद्भुत होता है। किसी पर अपना विचार थोपता नहीं।
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