Wednesday, November 18, 2020

नजर खोने से भव तिमिरमय दिखता है

 नजर खोने से भव तिमिरमय दिखता है

नजरिया खोने से भ्रांति सत्य दिखता है

अहम एक आत्मघाती अनुभूति है
ब्रह्म दिल बहलाने की मिथ्या प्रतीति

किसी को अपना बनाना इंसान को मिल्कियत बनाने का बहाना है
जनतांत्रिक पारस्परिकता प्यार के अधिकार और सुख का फसाना है

सभी में होते हैं स्वार्थ और परमार्थ के द्वंद्वात्मक तत्व
सुखी होता है वह देता जो स्वार्थ पर परमार्थ को महत्व

गम-ए-जहां में मिला देते हैं जब गम-ए-दिल
दिखती है दुनिया तब एक खूबसूरत महफिल

चलते रहें अकेले किसी मृगतृष्णा की चाह में
मिलकर चलते हैं जब मिलती हैं मंजिलें राह में

जीने का कोई जीवनेतर मकसद नहीं होता
अपने आप में मकसद सूलों की जिंदगी जीना

करते हैं यदि हम निजी हितों का तुलनात्मक आकलन
परमार्थी जीवन के खाने में पाते हैं ऋण से अधिक धन

इसलिए ऐ शरीफ इंसानों चुनो तार्किकता का रास्ता
इंसानियत की भलाई में ही है निजी भलाई का वास्ता

हो यदि एक तरफ सच्चाई और दूजी तरफ लोकप्रियता
चुनो सच्चाई, अल्पकालिक होता है वजूद लोकप्रियता का

हो यदि एक तरफ सच्चाई और कठिनाई दूजी तरफ
चुनो सच्चाई आसान हो जाएगा कठिनाई का हरफ

(ईमिः 19.11.2020)

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