Monday, November 2, 2020

लल्ला पुराण 364 (शिक्षा)

 Brijendra Dwivedi क्रोधित नहीं हो रहा हूं, तो मेरी शिक्षक की भूमिका क्लास रूम तक सीमित नहीं रही है पर पेंसन मिलने के नाते हर किसी को पढ़ाने को बाध्य नहीं हूं। कानून मुझे पेंसन अन्य केंद्रीय कर्मचारियों की ही तरह रिटायरमेंट तक की अवधि के काम के दौरान मेरी कमाई की पेसन फंड से कब तक के काम का मिलता है, रिटायरमेंट का बाद के काम करने के लिए नहीं। लेकिन नैतिक रूप से एक शिक्षक,अपनी बौद्धिक क्षमता की सीमाओं में कभी भी किसी को भी पढ़ाने को कर्तव्यबद्ध होता है। दिवि में मेरा हर शनिवार को एक 3-4 घंटे का 'जनहस्तक्षेप' स्टडी क्लास होता था जिसमें विभिन्न विभागों के छात्र होते थे। 2012 से 2017 तक इलाहाबाद में मेरा एक 25-30 छात्रों का स्टडी ग्रुप था, हर यात्रा में एक दिन उनके लिए रखता था। लेकिन छात्र बनने की भी पात्रता होती है, क्लास शुरू होने से पहले ही छात्र अपमानकजनक लहजे में शिक्षक को उपाधि देने लगे, तो उसे इस दुस्साहस के लिए पश्चाताप की अनुभूति के साथ इसे त्याग कर पात्रता हासिल करनी चाहिए। शुभकामनाएं।

No comments:

Post a Comment