जेएनयू जैसी अद्भुत होली कहीं देखा ही नहीं, छोड़ने क बाद, बहुत लंबे समय तक होली में सबह सुबह जेयनयू पहुंचता रहा। बेटियां छोटी थीं तो उन्हें भी ले जाता था। जेएनयू और ईश सर के बारे में अपने आप राय न बना लिया करें। महिषासुर दिवस तो 2013 के बाद कुछ आदिवासी, दलित और ओबीसी ग्रुप मनाने लगे। करीब 27-28 साल बाद इस बार होली में जोएनयू जाने की कोशिस करूंगा, हमारे समय बहुत छोटी थी यूनिवर्सिटी।
इलाहाबाद में होली पर घर जाता था, दिल्ली से होली दिवाली (2-3दिन की छुट्टी) में घर जाना संभव नहीं था, नजदीक के लड़के जाते थे। गांव की होली 1976 में अंतिम थी। जोएनयू की होली सामुदायिकता की मिशाल होती थी। बहुत (27-28) सालों से नहीं गया।
इलाहाबाद में होली पर घर जाता था, दिल्ली से होली दिवाली (2-3दिन की छुट्टी) में घर जाना संभव नहीं था, नजदीक के लड़के जाते थे। गांव की होली 1976 में अंतिम थी। जोएनयू की होली सामुदायिकता की मिशाल होती थी। बहुत (27-28) सालों से नहीं गया।
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