Arvind Kumar Mishra बबलात्कार की संस्कृति किसी धर्म (जैसाआपने कहा इस्लाम) के प्रभाव से नहीं शुरू होती। अपने गांव के एक लड़के से बात हो रही थी, 5 भाई हैं, वह अपने अन्य भाइयों के एक-दूसरे से भिन्नता के बारे में बात कर रहा था। जब दो सगे भाई एक जैसे नहीं होते तो लाखों करोड़ों को एक ब्रैकेट में कैसे बंद किया जा सकता है? बलात्कार की ज्यादा घटनाएं मुगल काल में नहीं आधुनिक काल में हो रही हैं। स्वामी चिन्मयानंद, राम-रहीम, आसाराम, नित्यानंद आदि बलात्कारियों पर तो इस्लाम का असर नहीं है? व्यक्ति का चरित्र उसके जन्म के धर्म-जाति के संयोग का नहीं, समाजीकरण का परिणाम होता है। आइए समाज में समरसता बढ़ाएं, जाति-धर्म के नाम पर विद्वेष नहीं।
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