Monday, September 2, 2019

शिक्षा और ज्ञान 239 (समाजीकरण)

परवरिश तथा शिक्षा के दौरान का हमारा समाजिककरण हमारे आत्मविश्वास को मजबूत करने की बजाय आत्म-अविश्वास भरता है तथा सेल्फ-बिलीफ को कमजोर करता है।

समाज से बिना सजग प्रयास के अर्जित मूल्यों को अनलर्न करना पड़ता है। मैं जब इवि में पढ़ता था तो सोचका था लेखक किसी और ग्रह से आते होंगे। जब लिखना शुरू किया तो अतिआत्मविश्वास आ गया। 1985 में एक संपादक ने कहा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर पाक्षिक के लिए कॉलम लिखोगे, मैंने कहा क्यों नहीं? महीने की 300 रु. (150+150) की नियमित आमदनी की जुगाड़ हो गयी। हिंदी लेखन का भुगतान सदा दयनीय रहा है।

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