Tara Shanker मैं हमेशा शिक्षक ही बनना चाहता था, नौकरी की दूसरी कोई प्राथमिकता नहीं रही, लेकिन विश्वविद्यालयों की 99 फीसदी नौकरियां नेटवर्किंग से मिलती हैं (1 फीसदी दुर्घटनाबश)। मैंने रंग-ढंग ठीक नहीं किए। नास्तिकता के चलते जब गॉड ही नहीं तो गॉडफादर कहां से आता? फिर भी बहुत देर से ही सही, सौभाग्य से मिल ही गयी और अब तो रिटायर भी हो गया। मेरे स्टूडेंट होते तो ऐसा न लिखते, मैं सवाल के लिए उकसाता था और अपने उन चंद विद्यारथियों को ज्यादा प्यार से याद करता हूं जिन्होंने कभी असहज सवाल पूछे। मैंने दिवि एवं अन्य विश्वविद्यालयों में 14 साल इंटरविव दिए। इलाहाबाद विवि में 1986 में डेढ़ घंटे इंटरविव चला था। फिर भी सौभाग्यशाली हूं कि 23-24 साल पढ़ाने को मिल गया।
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