मित्र! नास्तिकता विधर्मियों का यशोगान या अपने पूर्वजों की निंदा नहीं, किसी भी अलौकिक शक्ति के अस्तित्व को नकारना है, चाहे वह स्वधर्मी हो या विधर्मी; स्वदेशी हो या विदेशी। देश-काल के हिसाब से उस अलौकिक शक्ति के स्वरूप और चरित्र में परिवर्तन अपने आप में सबूत है कि ईश्वर की अवधारणा मनुष्यनिर्मित ऐतिहासिक अवधारणा है जो देशकाल के हिसाब से बदलती रहती है। पहले ईश्वर गरीब औप असहाय की मदद करता था अब सक्षम की। (गॉड हेल्प्स दोज व्हू हेल्प देमसेलव्स)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment