Thursday, December 10, 2015

लाल सलाम विद्रोही

लाल सलाम साथी रमाशंकर विद्रोही
मिलने पर भले ही न किया हो कभी सलाम
नेकिन हम कॉमरेड लोग
विद्रोहियों का इतना तो सम्मान करते हैं
मरने के बाद लाल सलाम देते हैं
इसलिए भी लाल सलाम
कि तुम अपनी जिद पर अड़े रहे
भारत भाग्यविधाता को मार कर ही मरे
बनाकर कविता को लाठी
तान दिया भगवान-ओ-धनवान पर
दलते हुए दाल भगवान के सीने पर
जमाया तुमने आसमान धान
तथा उखाड़ दिया धरती से भगवान
तुम अपनी जिद पर अड़े रहे
भारत भाग्यविधाता को मार कर ही मरे
लाल सलाम विद्रोही
मरने के बाद ही सही
याद है काशीराम ढाबे की पहली मुलाकात
जब तुम्हारा अवधी गीत सुनने के बाद कहा था
वाह विद्रोहीजी
तुम चौंके थे
कि बिन बताये कैसे जान गया तुम्हारा नाम
लाल सलाम विद्रोही
मरने के बाद ही सही
अब एक बात
जेयनयू के तुम्हारे सहपाठियों की तरफ से
वह यह कि हम न बन सके विद्रोही तुम्हारी तरह
साहसी तो हम भी कम नहीं
लेकिन नहीं बन सके दुस्साहसी तुम्हारी तरह
साहस से विरोध किया
संस्था द्वारा अपने ही नियमों के उल्लंघन का
तुमने दुस्साहस किया संस्था के खंडन का
पूंजीवाद टिका है श्रम की खरीद-फरोख्त का
हम साहस से श्रम का सम्मान करते हैं
नहीं कर पाये दुस्साहस
करने का श्रम बेचने से इंकार तुम्हारी तरह
ऐसा नहीं है विद्रोही कि हम तुम्हारे में सोचते ही नहीं थे
मिलने पर तुम्हारे साथ चाय तो पीते ही थे
आपस में मिलने पर भी
यह कह कर अपना फर्ज अदा करते थे
कि अच्छी कविताएं लिख रहा है विद्रोही
लेकिन जो भी हो तुम अपनी जिद पर अड़े रहे
भारत भाग्यविधाता को मार कर ही मरे
तुम्हारे मरने के बाद भी
हम तुम्हें याद करेंगे
जेयनयू में एक शोक सभा करेंगे
तुम्हारी कविताओं का उसमें पाठ होगा
तुम्हारी अछपी कविताओं के
संकलन की घोषणा भी की जायेगी
उसी तरह
जैसे गोरख की शोकसभा में की गयी थी
हम संपन्न श्रमिक
एक कोश के गठन की भी घोषणा करेंगे
जैसे अदम की शोकसभा मेँ किया था
कविता को ही श्रम समझने वाले
भविष्य के विद्रोहियों के लिए
यही सब हम
उनकी शोकसभाओं में भी करेंगे
लाल सलाम विद्रोही
तुम अपनी जिद पर अड़े रहे
भारत भाग्यविधाता को मार कर ही मरे
जब भी कोई विद्रोही अभावों से मरेगा
हम अपना फर्ज़ निभाते रहेंगे
शोकसभा में घोषणाओं का
लेकिन तुम आखिर तक अपनी जिद पर अड़े रहे
भारत भाग्यविधाता को मार कर ही मरे
लाल सलाम विद्रोही
मरने के बाद ही सही
(ईमिः11.12.2015)

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