दिव्यदिमाग
दिव्यदिमाग हैं आप महमहिम
उसी तरह जैसे दिव्यांग दिखता है
साहस से तकलीफों समंदर पार करता विकलांग
सहते हुए
अवमानना,
प्रवंचना तथा तिरस्कार
स्वीकार करते हुए
अंधे, लूजे, लंगड़े,
गूंगे, बहरे के विशेषणों को
व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में
इतिहास बोध की वंचना ने बनाया तुम्हें
मानव पालक धनपशुओं का प्रिय पाल्य
फोड़ लो तुम अपनी कम-से-कम एक या दोनों आंखें
बन जाओ काने या सूरदास
अद्भुत होगा दिव्यांग तथा दिब्य दिमाग का मेल
दिव्यचक्षु से दिव्य दिखेगा
भूख-प्यास से तड़पता यह दिव्य देश
करते हैं प्रभु कृपा जिस पर बदल बदल कर भेष
कभी अंबानी तो कभी अडानी बनकर
बाकी बनकर वालमार्ट बचती जो शेष
धन्य हैं दिव्यदिमाग महामहिम आप
खत्म कर देते हैं जो दिव्यशक्ति से
अमन-चैन का अदिव्य अभिशाप
तथा तर्क,
विवेक के पाप
धन्य हैं दिव्यदिमाग महामहिम आप
(ढंग की बनी नहीं, फिर
भी)
(ईमिः 29.12.2015)
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