लाल सलाम पंकज भाई. अभी परसों ही तो सांईबाबा की प्रेस कांफरेंस के बाद प्रेस क्लब में इतनी योजनाएं बनाई थी हमने साथ प्रेस क्लब में बैठकर, आज मुझे जनहस्केतक्षेप की मीटिंग की सूचना के लिए फोन करना था, मेरे फोन के पहले अनूप का फोन आ गया अब भी यकीन नहीं आ रहा है। स्वास्थ्य की परवाह किये बिना जिस तरह आप जनहस्तक्षेप के कार्यक्रमों तथा अन्य प्रतिरोधों में निरंतर शिकत कर रहे थे, प्रेरणादायी है. अब कल लिखूंगा, अभी तो यकीन ही नहीं हो रहा है। लाल सलाम पंकज भाई. कवि मरता नहीं आपकी कविताएं आप को मरने न देंगी, न ही आपके मित्र. लाल लाल लाल सलाम.
https://www.youtube.com/watch?v=4DwtaGk4w1c&feature=share
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