Saturday, May 11, 2013

बेतुक


बिना चिरागों के हो रोशनी जहां
 रहते होंगे रोशन लोग वहां


जिसको जुस्तजू थी मेरी पाया उसने
 पाकर लेकिन खो दिया फिर से मुझे

खुशियों में ही छिपा है उदासी का सबब
पतझड़ से सीखती है बहार गुलशन का अदब
[ईमि/१९.०६.२०१२]
नहीं  घबराते फसल की चोरी से
सजग हो जाते हैं चोरों की सीनाजोरी से
और रखाते हैं होके चौकन्ना अगली फसल
देंगे अबकी मुजरिमों के नापाक इरादे मसल.
[ईमि/०५.०७.२०१३]

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