Thursday, May 9, 2013

गर तलाशा न होता नए रास्ते

गर तलाशा न होता नए रास्ते
चलते रहते गर घिसे-पिटे पथों पर
 न मिलतीं ये रोशन मंजिलें
 न होते गर हमले यथास्थिति के मठों पर
 घूमते रहते तिमिर के वृत्त में
 बैठ परम्परा के जर्जर रथों पर
अन्वेषण न होता असीम शक्ति का अपनी
 ऊबड़-खाबड़ रास्तों का होता न यदि तजुर्बा
 जीत हार तो माया है जंग-ए- आज़ादी की
जंग-ए-ज़िंदगी का सुख है अद्भुत और अजूबा
 मिलता नहीं हक जद्दोजहद के बिना
 बिना लड़े मिलता है सिर्फ समझौता
 लड़ना पड़ता है हक के एक एक कतरे के लिए
 लडे बिना जिल्लत के सिवा कुछ नहीं मिलता
[ईमि/०९.०५.२०१३]


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