Friday, May 24, 2013

साहित्यिक ५

आवारगी, देश-काल की विशिष्ट ऐतिहासिक सन्दर्भ में,  इंसान की विवेक-सम्मत, स्वैच्छिक फितरत  है. यह दिल-ओ-दिमाग के लगभग संतुलित योग है जिसमें कभी कभी दिल दिमाग पर क्षणिक रूप से भारी पड़ सकता है. दीवानगी आवेश-जन्य मनोस्थिति है जिसमें इंसान दिमाग को दर किनार कर दिल से सोचने लगता है और दिल का काम सोचना तो है नहीं! दीवाना आवेश एवं आवेग के वसीभूत हो दयनीय दिखता है.  भविष्य से निर्भीक आवारा  मस्ती से ज़िंदगी जीता है. प्रामाणिक आवारगी का कोइ जीवनेतर उद्देश्य नहीं होता एक अच्छी आवारगी, यानि समझौतों से मुक्त एक अच्छी ज़िंदगी जीना अपने आप में सम्पूर्ण उद्देश्य है, शेष तार्किक परिणति के रूप में अनायाचित परिणामों की तरह साथ चलते हैं.  कई बार अनायाचित परिणाम काफी प्रासंगिक होते हैं.आवारागी बौद्धिक, सर्जनशीलता का परिचायक है, दीवानगी दिल की गुलामी का.

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