Friday, May 17, 2013

क्योंकि वह लड़की थी


कल की ही तो बात है
चहक रही थी  वह
हो सवार मेरे  कंधे पर
उचक-उचक कर चूम रही थी गाल
जताने को एक टाफी का आभार
दिखीं थी अनंत संभावनाएं
उस छोटी सी जान में
आज ही कैसे हो गया
अनन्त सम्भावनाओं का अंत?
समा गयी वह काल के गाल में
छोडकर निर्जीव, क्षत-विक्षत नन्हीं देह
उसका अपराध इतना ही था
कि जब वह पैदा हुई
लोगों ने कहा था लडकी है.
[ईमि/१८.०५.२०१३]

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