हुसैन को श्रद्धांजलि केतौर पर लिखा था. संभव हुआ तो लेख लिखूंगा इस पर.
में तो वैसे भी नहीं हूँ नैसर्गिक कवि
प्रयास से कुरेदता हूँ कव्यात्मक छवि
वैसे भी लिखेंगे जब हर बात पर गान
होती नहीं सभी कृतियाँ महान
होते हैं सब नियमों के अपवाद
कभी होते हैं संत कबीर तो कभी मार्क्स
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