Friday, June 10, 2011

ईश-निंदा

ईश-निंदा
ईश मिश्र
बात चली थी वामपंथ के भ्रष्टाचार-विरोध की
हो गई यहाँ तक आते आते काव्य प्रतिशोध की
ईश-निंदा से खाओ कुछ तो खौफ
सुन लेंगे यदि बजरंगी, मिलेगी सीधे मौत
मिलेगी सीधे मौत फिर न करना गुहार
यह ईश भी तब शायद न सुन पाए पुकार
तुम्हारा ही ईश सकता है वायवी ईश को ललकार
चाहते हो ग़र रहना भला चंगा
उसकी ऐसी-की-तैसी इस ईश से न लेना पंगा
हा हा हा अरे साला! यह तो ईश से ईसू बन गया
ऊपर वाले ईश को फटकार कर तन गया
उसकी तो देख लिया ईशकी देख लेंगे औकात
फिर मत कहना पहले क्यों नहीं बताया यह बात
[ईमि/10.06.2011]

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