Tuesday, June 28, 2011

चवन्नी छाप

चवन्नी छाप
हो जायेगी अगर पद्यनुमा टिप्पणी ,
करने लगोगे तुम भीषण नुक्ताचीनी
निकालोगे तरकश से गालिओं के भीषण तीर
कभी कहोगे रामदेव तो कभी ओबामा पीर
होता नहीं मैं फिर भी बहुत अधीर
उम्मीद में इस की अब कहोगे संत कबीर
चलता था जब सिक्का चवन्नी का
खरीद सकता था ताड़ी का पूरा मटका
औकात इसकी घटती गयी
जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती गयी
तब भी छावनी नहीं हुई थी बेआबरू
हुई चवन्नी की चाय की रवायत शुरू
रख चवन्नी जेब में चलता था सीना तान
लेता नहीं था किसीका चाय का एहसान
जब तक चुकाती रही यह एक माचिस का दाम
चवन्नी छाप हुआ नहीं तब तक बदनाम
जबसे भूमंडीकरण का मचा है तांडव
चवन्नी की क्या हो गया अठन्नी का भी पराभव
आन पडी है अब तो आफत रूपये के सिक्के पर
रूपया छाप हो गया ऐसे मौकेपर
आओ बचाएं रूपये की आन
खतरे में पडी है अब उसकी जान
२९.०६.२०११

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