Monday, June 6, 2011

सुषमा का ठुमका

सुषमा का ठुमका
ईश मिश्र
सुषमा ने लगाया ठुमका भ्रष्टाचार की ढोल पर
धन्य हुए गडकरी-आडवाणी, हँसे दोनों दिल खोल कर
एक शख्स दिख रहा था कब्र में अकेला और उदास
विरोध का यह अजूबा दे रहा था उसकी आत्मा को संत्रास
बुलात किसी अनुयाई को, था न कोई आस-पास
कहते हैं नाम है उसका गाँधी मोहनदास
सुन कर ठुमके की बोल देश-भक्ति के
कालिख पुट गई माथे पर नारी-शक्ति के
ये देश है बुश और ब्लैर का
लूट, दलाली और शेयर का
ऋतंभरा, मोदी और योगी का
इस देश में मालेगाँव बसता है
समझौता में धमाका होता है
इस देश का लोगों क्या कहना
कलिंग्नगर में टाटा बसता, न्याम्गिरि में वेदांता
पास्को आया समुद्र पर से
जगत्सिंह पुर का तो क्या कहना
जो देश हो चिदंबरम-मन्मोहनो का
रमनो और पट्नयको का
जिस देस में मुलायमी माया हो
उस देस का लोगों क्या कहना
बम तो फिर बम है
फटना है उसका ईमान
कुछ इधर-उधर हो सकती है
मुर्दो की पहचान
रेलगाड़ी ही नहीं दरगाह में भी फट सकता है
मरने वालों के ईमान से क्या फर्क पड़ता है
हो जाता रक्त-रंजित जिसका राष्ट्र-प्रेम
उस देस का लोगों क्या कहना
लगता जहाँ हो हर चीज का दाम
तय करता हो जो अंकल साम
उस देश का लोगों क्या कहना
हो नहीं सका गांधी से इससे अधिक सुनना
[ईमि/08.06.2011]

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