चवन्नी छाप
Ish Mishra
चलता था जब सिक्का चवन्नी का
खरीद सकता था ताड़ी का पूरा मटका
औकात इसकी घटती गयी
जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती गयी
तब भी चवन्नी नहीं हुई थी बेआबरू
हुई चवन्नी की चाय की रवायत शुरू
रख चवन्नी जेब में चलता था सीना तान
लेता नहीं था किसीका चाय का एहसान
जब तक चुकाती रही यह एक माचिस का दाम
चवन्नी छाप हुआ नहीं तब तक बदनाम
जबसे भूमंडीकरण का मचा है तांडव
चवन्नी की क्या हो गया अठन्नी का भी पराभव
आन पडी है अब तो आफत रूपये के सिक्के पर
रूपया छाप हो गया ऐसे मौकेपर
आओ बचाएं रूपये की आन
खतरे में पडी है अब उसकी जान
२९.०६.२०११
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isi se sambandhit kuch panktiyan maine bhi kuch mahino pehle likhi thi.....
ReplyDeleteis mehngaai may apni autaad jaankar,
ek sikka tha katraya sa...
meri hi jeb se nikla tha woh,
sehma aur ghabraya sa....
maine bhi kabhi uski keemat,
itni zyada na jaani thi ...
ek pal may woh anmol hua,
iski bhi ek kahani thi.....
sikka pakar us chehre par,
kai rang khil aaye the...
jis bhooki bacchi ne mere aage,
dono hath failaye the.
bahut sundar
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