Sunday, June 5, 2011

सडक जाम

सडक जाम
ईश मिश्र
धूमिल ने कहा था
संसद जाम करने से अच्छा है सड़क जाम करो
इन्किलाबी हुजूम के हरकारे का काम करो
लेकिन पहले जाति/धर्म/खेत/देश से ऊपर
एक सम्पूर्ण सचमुच का इन्शान बनो
समता के सुख का संधान करो
हरकारा होता है नहीं केवल सूत्रधार
करता है वह विचारों का भी प्रचार प्रसार
हुआ ना हुजूम इंक़िलाबी, चलेगा भेड़-चाल
आक्रोश के उन्माद में कर देगा बुरा हाल
बन सकता है आवेग में निक्करधारी नाजी
या फिर काली कमीज में वाचाल फासीवादी
हमारी ड्यूटी है इसका ज़मीर जगाना
शर्माये के निज़ाम की हक़ीकत बताना
मूक बहुमत को वाचाल बनाना
तब्दीली की जरूरत के किस्से सुनाना
बन जाए जब जगे ज़मीर का ऐसा हुजूम
हो सकता है कुछ भी इतना ही मालुम
ऐसे हुजूम के हरकारे बन जाओ
प्रकाश के वेग से अन्तरिक्ष तक छा जाओ
ख़ुद-ब-ख़ुद बंद कर देगा हवा को पीठ देना
शुरु कर देगा उसका का रुख बदलना
घेर लेगा संसद, कर देगा सड़क जाम
करेगा नए निज़ाम की शुरुआत
[ईमि/6.6.11 6.630 pm]

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