अवसाद
ईश मिश्र
सच है निर्वात की असम्भाव्यता की बात
पहले तुम थे अब न होने का अवसाद
जब भी करता हूँ ग़मे-जहाँ की बातें
सिनेमा की रील सी गुजरती हैं तुम्हारे साथ की यादें
थी दोस्ती की खुशी भी काफी सघन
कभी भी नहीं हुई कोई अनबन
चंद दिंनो का ही था अपना साथ
हो गया कुछ ज्यादा ही वियोग का अवसाद
[ईमि/13.06.2011]
ईश मिश्र
सच है निर्वात की असम्भाव्यता की बात
पहले तुम थे अब न होने का अवसाद
जब भी करता हूँ ग़मे-जहाँ की बातें
सिनेमा की रील सी गुजरती हैं तुम्हारे साथ की यादें
थी दोस्ती की खुशी भी काफी सघन
कभी भी नहीं हुई कोई अनबन
चंद दिंनो का ही था अपना साथ
हो गया कुछ ज्यादा ही वियोग का अवसाद
[ईमि/13.06.2011]
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