नई सुबह
ईश मिश्र
आएगी ही वह सुबह रात के तिमिर को चीरते हुए
कार्पोरेटी भोपुओ को ललकारते हुए
हो जाएगी असह्य जबगरीब के पेट की ज्वाला
उतर जाएगा जब धर्म-जाति और अंधविश्वास का नशा
चलेंगी जब हर गली हर गाँव में हाथ लहराती लाशें
गाएंगी कोयल और गौरय्या आजादी के नग्मे
आएगा तब सच-मुच का जंतंत्र
खत्म हो जाएगा दुनिया से कार्पोरेटी लूट्तंत्र
[ईमि/11.06.2011]
ईश मिश्र
आएगी ही वह सुबह रात के तिमिर को चीरते हुए
कार्पोरेटी भोपुओ को ललकारते हुए
हो जाएगी असह्य जबगरीब के पेट की ज्वाला
उतर जाएगा जब धर्म-जाति और अंधविश्वास का नशा
चलेंगी जब हर गली हर गाँव में हाथ लहराती लाशें
गाएंगी कोयल और गौरय्या आजादी के नग्मे
आएगा तब सच-मुच का जंतंत्र
खत्म हो जाएगा दुनिया से कार्पोरेटी लूट्तंत्र
[ईमि/11.06.2011]
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