Saturday, June 11, 2011

नई सुबह

नई सुबह
ईश मिश्र
आएगी ही वह सुबह रात के तिमिर को चीरते हुए
कार्पोरेटी भोपुओ को ललकारते हुए
हो जाएगी असह्य जबगरीब के पेट की ज्वाला
उतर जाएगा जब धर्म-जाति और अंधविश्वास का नशा
चलेंगी जब हर गली हर गाँव में हाथ लहराती लाशें
गाएंगी कोयल और गौरय्या आजादी के नग्मे
आएगा तब सच-मुच का जंतंत्र
खत्म हो जाएगा दुनिया से कार्पोरेटी लूट्तंत्र
[ईमि/11.06.2011]

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