Tuesday, June 14, 2011

साथी चे के जन्म-दिन पर

साथी चे के जन्म-दिन पर
ईश मिश्र
जन्म-दिन मुबारक हो साथी चे! लाल सलाम
लाल-सलाम लाल-सलाम लाल-लाल सलाम
हिचक होती है थोड़ी साथी! करते हुए लाल सलाम
शुरू तुमने जो किया है दुनिया बदलने का काम
दे नहीं पाये हैं अभी तक उसे अंजाम
पैदा हुए अर्जेंटीना में की डाक्टरी की पढ़ाई
कर सकते थे,चाहते तो, खूब अच्छी कमाई
तुम्हारी आंखों में उमड़ रहा था ग़म-ए-जहाँ का समंदर
निकल पड़े तुम जहाँ से खत्म करने जुल्म-जोर का डर
नहीं सीमित हो सकता था एक देश में तुम्हारा सरोकार
तुम्हें तो करना था सारी दुनिया में इंक़िलाब का प्रचार
अर्जेंटीना हो या हो फिर बोलीविया या ग्वाटेमाला
इंक़िलाबी दस्तों की हर जगह बुनियाद डाला
मैक्सिको में हुई कास्त्रो से मुलाकात
साथ चल पड़े रोकने बतिस्ता की उत्पात
कास्त्रो की सदारत में चला आर-पार का जंग
देख गुरिल्ला जज्बा अमरीका राह गया दंग
ढह गया जब क्‍यूबा में कठपुतली का किला
उसे लगा साम्राज्य का आधार कहीं हिला
क्‍यूबा में जब किसान-मज़दूरों राज हुआ
जनवाद की तुम्हारी समझ का आगाज़ हुआ
फूंक कर मंत्र समाजवादी इंशान बनाने का
निकल पड़े रंग-ढंग देखने बाकी जमाने का
बोलीविया से किया जब अगली शुरुआत
अमरीका कांप गया सोचकर क्‍यूबा की बात
फैलते रहे ऐसे ही अगर चे के विचार
रुक जायेगा साम्राज्यवाद का प्रसार
अपने लूट-तंत्र का रसूख देख खतरे में
खत्म करने की तुम्हें करने लगा तरकीबें
मिल भी गया उसे एक कमीना गद्दार
कायरो की तरह पीछे से किया उसने वार
तुम तो व्यक्ति नहीं अमर विचार हो
क्रांतिकारी प्रेरणा के संपूर्ण संसार हो
फैल गई है दुनिया में तुम्हारी विरासत
होगी ही खत्म पूँजी के जुल्म की आफत
मुबारक हो जन्म दिन और लाल सलाम
जारी रहेगा साथी! इंक़िलाबी अभियान.
(14.06.2011)

No comments:

Post a Comment