मेरे एक पूर्व छात्र किसी कॉलेज में एढॉक पढ़ा रहे हैं, उन्होंने दिल्ली विव शिक्षक संघ (डूटा) चुनाव में एनडीटीएफ (आरएसएसका दिवि का शिक्षक विंग) के उम्मीदवार और मौजूदा अध्यक्ष, एके भागी के प्रचार में दिवि के एक ग्रुप में एक पोस्ट शेयर किया। जिसपर मैंने अपने कमेंट में उनके कार्यकाल में हजारों एढॉक शिक्षकों की बेदखली और अपनी पेंसन के मुद्दे पर उनके रवैये की बात की। उसने मेरी मेरी निजी परेशानियों पर सहानुभूति जताते हुए और मेरी अच्छी सेहत तथा पेंसन बहाली की शुभकामनाएं देते हुए मेरी समझ से असमति व्यक्त की। उस पर:
'मेरी समझ से असहमति' का स्वागत है, मैं तो अपने छात्रों को पहली की क्लास में सबसे पहली बात हर बात पर सवाल करना; आलोचना और आत्मालोचना ही सिखाता हूं -- निर्मम आलोचना और आत्मालोचना। दरअसल आत्मालोचना बौद्धिक विकास की अनिवार्य शर्त है। लेकिन असहमति तथ्यात्मक और तार्किक होनी चाहिए वरना वह पोंगापंथी फतवेबाजी होती है। आपकी शुभेच्छा और शुभकामनाओं के लिए, आभार लेकिन मैं व्यक्तिगत समस्याओं की उतनी चिंता नहीं करता, क्योंकि ननतमस्तक समाज में सिर उठाकर जीने के मंहगे शौक की कीमत तो चुकानी ही पड़ती है। वैसे भी अन्यायपूर्ण समाज में व्यक्तिगत अन्याय की शिकायत वाजिब नहीं है। निजी न्याय के लिए न्यायपूर्ण समाज बनाना पड़ेगा, जिसमें किसी के साथ अन्याय न हो तो व्यक्तिगत न्याय अपने आप सुनिश्चित हो जाएगी। निजी स्वतंत्रता के लिए समाज को स्वतंत्र करना पड़ेगा। भागी जी से भी मेरी कोई शिकायत नहीं है, रिटायर्ड टीचर की समस्याओं को नजरअंदाज करना या फोन न उठाना भी नावाजिब नहीं है, क्योंकि उसका वोट तो होता नहीं। आपकी और अपनी स्टूडेंट प... (आपकी पत्नी और मेरी स्टूडेंट)) की परमानेंट नौकरी के लिए शुभकामनाएं। लंबे समय से एढॉक पढ़ा रहे अपने कई स्टूडेंट्स की बेदखली की पीड़ा झेल चुका हूं और कामना करता हूं कि और न झेलना पड़े।
मैं बौद्धिक कलाबाजी में यकीन नहीं करता एक शिक्षक का काम एक विवेकशील इंसान बनने में छात्रों की मदद करना है, बौद्धिक कलाबाजी नहीं, ऐसी अवमानना पूर्ण प्रशंसा अवांछनीय है। विरोध हमेशा तार्किक होना चाहिए, निराधार विरोध फतवेबाजी होती है।
मेरी व्यक्तिगत समस्याओं पर सहानभूति के लिए पुनः आभार, किंतु एक अन्यायपूर्ण समाज में व्यक्तिगत समस्याओं का कारण सार्वजनिक आचरण होता है। वैसे भी लोग सार्वजनिक-व्यक्तिगत के विरोधाभास का इस्तेमाल अपने सिंद्धांत-व्यवहार के अंतर्विरोध के आवरण के रूप में करते हैं।
आप, पल्लवी और आप दोनों की संतान को कोटिशः आर्शिर्वाद तथा शुभकामनाएं।
मेरी व्यक्तिगत समस्याओं पर सहानभूति के लिए पुनः आभार, किंतु एक अन्यायपूर्ण समाज में व्यक्तिगत समस्याओं का कारण सार्वजनिक आचरण होता है। वैसे भी लोग सार्वजनिक-व्यक्तिगत के विरोधाभास का इस्तेमाल अपने सिंद्धांत-व्यवहार के अंतर्विरोध के आवरण के रूप में करते हैं।
आप, पल्लवी और आप दोनों की संतान को कोटिशः आर्शिर्वाद तथा शुभकामनाएं।
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