कविता को लकवा नहीं मार गया है
कविता लिखी जा रही है
लेकिन लुक-छिप कर
क्योंकि राजा को कविताएं नापसंद है
कविताएं पढ़ी जा रही हैं
लेकिन लुक-छिप कर
क्योंकि राजा को पसंद नहीं है कविता का पढ़ा जाना
वक्त करीब आ गया है
जब कविता खुले आम लिखी और पढ़ी जाएंगी
और कविता नापसंद कर देगी राजा को
गोरख ने लिखा कि तमाम धन दौलत-गोला बारूद के बावजूद
वह डरता है कि निहत्थे लोग उससे डरना न बंद कर देंगे
उसी तरह जिस दिन कविता नापसंद कर देगी राजा को
वह डरने लगेगा कविता से
और डर कर भाग जाएगा
देश लूटकर भाग चुके अपने किसी धनपशु के पास
जो इसी की कृपा से पहले ही कहीं दूर-देश में बस गए हैं
किसी-न-किसी सुरक्षित विदेश में।
(ईमि: 15.08.2023)
Saturday, September 16, 2023
कविता को लकवा नहीं मार गया है
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